अफगानिस्तान : क्या अगला सीरिया?

अफगानिस्तान अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध था लेकिन तालिबान के प्रभुत्व और उससे आजाद होने के संघर्ष में इसकी खूबसूरती खो गयी है। 2 दिन पहले अफगानिस्तान को फिर से तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया। घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले हैं कि सारे देश महज लोकतंत्र की दुहाई देते रहे और तालिबान ने पूरे देश पर अधिकार कर लिया।

अफगानिस्तान : क्या अगला सीरिया?

तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया और यह काम इतनी जल्दी हुआ कि सारी वैश्विक शक्तियाँ देखती ही रह गयी। अमरीकी सेना के एक अधिकारी का आकलन था कि तालिबान 90 दिन में पूरे अफगानिस्तान पर अधिकार कर लेगा लेकिन उस अधिकारी के बयान के महज 3-4 दिन के भीतर तालिबान ने ऐसा कर लिया।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि अफगानिस्तान में तालिबान को बहुत नाममात्र के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा? अफगानिस्तान की जनता देश छोड़ कर क्यों भाग रही है? क्या अफगानिस्तान अगला सीरिया बनेगा? क्या ISIS फिर से अपना सर उठाएगा? और सबसे महत्त्वपूर्ण कि अब विश्व को किस नए सम्भावित खतरे से सावधान रहना होगा।

ऐसे कई प्रश्न हैं जिनके जवाब जानने जरूरी हैं तो ये लेख इन्हीं सवालों के जवाब तलाशती है।

पिछले महीने अमेरिकी सेना ने एक सुबह बगराम एयरपोर्ट छोड़ दिया। तब इस बात की आशंका व्यक्त की जाने लगी जी शायद अफगानिस्तान में एक बुरे दिन की शुरुआत होने वाली है। अमेरीका के तरफ से बयान आया कि अफगान सेना अब इतनी प्रशिक्षित हो गई है कि वो तालिबान का मुकाबला कर सकती है।

ये सिक्के का एक पहलू है, दूसरा पहलू ये है कि अमेरिका ने महीनों पहले तालिबान को सता में भागीदारी हेतु आमंत्रित किया और कई दौर की बातचीत के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से हटने को तैयार हुआ।राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति) अशरफ गनी ने एक तरफ अमेरिकी प्रस्तावों को माना और दूसरे तरफ तालिबान का विरोध भी जारी रखा।

तालिबान ने अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद से सभी प्रांतों पर आक्रमण कर दिए। तालिबान का इतिहास बहुत ही भयावह रहा है ऐसे में कोई भी फौज बिना उचित संसाधन के और मनोबल के ज्यादा दिन तक टिक ही नहीं सकती। तालिबान के डर के साये में अफगान फौजों ने धीरे-धीरे हार माननी शुरू की और यह सफर अशरफ गनी के देश से भागने और तालिबान के काबुल पर अधिकार के साथ समाप्त हुआ।

यहाँ तक की कहानी सभी जानते हैं लेकिन अब कुछ नए सवाल सामने आ रहे हैं जिनसे वैश्विक स्तर पर रूबरू होना ही पड़ेगा और अफगानिस्तान के वर्तमान हालात विश्व को परेशानी में जरूर डालेंगे।तालिबान का मानवाधिकार रिकार्ड इतना खराब है कि वहाँ अपराधियों को तो छोड़िए आम आदमी तक को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है। महिला विरोधी, शरियत का पालन करने वाला, रूढ़िवादी तालिबान अब देश में इस्लामिक लोकतंत्र की स्थापना करेगा। परस्पर विरोधाभासी वातावरण की वजह से लाखों अफगानी देश छोड़ने को तैयार हैं। और उन्हें अपने जान और अपने भविष्य की चिंता के बीच काबुल एयरपोर्ट पर भागते देखा जा सकता है।

तालिबान ने भी लोगों को निकल जाने की आजादी दी है लेकिन यह अपने आप में बहुत गंभीर सवाल है कि क्या अफगानिस्तान अगला सीरिया बनेगा? जहाँ मानवाधिकार कुचले जाएंगे? जहाँ गृहयुद्ध अपने चरम पर होगा। क्या ISIS जैसे समूह फिर से सिर उठायेंगे? तो बहुत से सवाल हैं जिनके जवाब भविष्य की गर्त में हैं लेकिन हकीकत यही है कि अमेरीका जैसे देशों ने अफगानिस्तान को उसके अंधकारमय भविष्य में धकेल दिया है जहाँ से निकल पाना बहुत मुश्किल है।